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ज्ञान एवं पाठ्यक्रम VBSPU 201

ज्ञान एवं पाठ्यक्रम

Knowledge and Curriculum

 
विषय ज्ञान एवं पाठ्यक्रम
Subject Knowledge and Curriculum
Gyaan evan Paathyakram 
Course B.Ed 1st Year Semester-2
Code 201
University VBSPU JAUNPUR (UP) and Other
Semester 2nd semester
Year 1st Year

AB JANKARI इस पेज में  वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय  बी. एड. प्रथम वर्ष (द्वितीय सेमेस्टर) : प्रथम प्रश्न-पत्र (201) "ज्ञान एवं पाठ्यक्रम नोट्स" , ज्ञान एवं पाठ्यक्रम असाइनमेंट ,ज्ञान एवं पाठ्यक्रम प्रश्न-उत्तर  को शमिल किया गया है |



TABLE OF CONTENT 
समसामयिक भारत और शिक्षा

(01) प्रश्न - स्टेनली लिस्बन द्वारा प्रस्तावित मापदण्ड बताइए। ? >>

(02) प्रश्न व्हीलर द्वारा प्रस्तावित मापदण्ड बताइ >>

(03) प्रश्न पाठ्यक्रम पर शिक्षक के कार्य बताइए ? >>

(04) प्रश्न  विशारद किसे कहते हैं? >>

(05) प्रश्न  wating ????? >>



खण्ड-अः अतिलघु उत्तरीय प्रश्न
(Section - A Very Short Answer Type Questions)

निर्देश : इस खण्ड में प्रश्न संख्या 1 (iसेx ) अतिलघु उत्तरीय प्रश्न है। परीक्षार्थियों को सभी 10 प्रश्नों का उत्तर देना अनिवार्य है। प्रत्येक प्रश्न के लिए 2 अंक निर्धारित हैं। (10 x 2 = 20 अंक)



(01) प्रश्न  स्टेनली लिस्बन द्वारा प्रस्तावित मापदण्ड बताइए। ? 

(01) प्रश्न स्टेनली लिस्बन द्वारा प्रस्तावित मापदण्ड बताइए।


प्रश्न i (a) स्टेनली लिस्बन द्वारा प्रस्तावित मापदण्ड बताइए।

उत्तर- स्टेनली लिस्बन ने दो मापदण्ड दिए हैं-

(अ) पर्यावरण समायोजन
(1) कौशल
(3) गृह सदस्यता
(5) अवकाश
(7) व्यक्तिगत विकास
(9) सामाजिक विकास
(11) बौद्धिक विकास

( ब ) व्यक्तिगत विकास
(2) संस्कृति
(4) व्यवसाय
(6) सक्रिय नागरिकता
(8) सौंदर्य बोधात्मक विकास
(10) आध्यात्मिक विकास
(12) नैतिक विकास ।

प्रश्न i (b) व्हीलर द्वारा प्रस्तावित मापदण्ड बताइए ।

उत्तर-व्हीलर द्वारा प्रस्तावित दो मापदण्ड हैं-

(क) मुख्य मापदण्ड - इसके अंतर्गत - वैधता तथा महत्त्व |

(ख) गौण मापदण्ड - शिक्षार्थी की आवश्यकताएँ एवं अभिरुचियाँ, उपयोगिता तथा अधिगम योग्यता ।

प्रश्न i (c) पाठ्यक्रम पर शिक्षक के कार्य बताइए ।
उत्तर- पाठ्यक्रम पर शिक्षक वर्ग का प्रभाव दो प्रमुख रूपों में कार्य करता है-

(i) वैयक्तिक रूप में,
(ii) संगठित शक्ति के रूप में।
 
प्रश्न i (d) विशारद किसे कहते हैं?
उत्तर-
समाज में विभिन्न कार्यों के लिए, विभिन्न प्रकार की विभिन्न स्तरों की योग्यता वाले व्यक्तियों की आवश्यकता होती हैं। शिक्षण के क्षेत्र में इस प्रकार की कला में पारंगत व्यक्ति को शिक्षा/विशारद कहा जाता है।

प्रश्न i (e) कोठारी आयोग का मूल्यांकन कीजिए।
अथव
ा कोठारी आयोग के गुण-दोषों का वर्णन कीजिए।


उत्तर-
कोठारी आयोग का मूल्यांकन

गुण-

1. अधिक-से-अधिक लोगों से शिक्षा ग्रहण करने के लिए आग्रह करना ।
2. नवीन प्रयोगों एवं शोध कार्यों को प्रोत्साहन देना ।
3. शिक्षा के पुनर्संगठन द्वारा उसे उपयोगी बनाये जाने के व्यावहारिक प्रतिरूप का सुझाव प्राप्त होना ।


दोष -
1. इस आयोग को पूर्णरूपेण क्रियान्वित रूप देने से गाँधी जी की बेसिक शिक्षा का दाह संस्कार हो जायगा ।
2. विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी की शिक्षा पर बल देने के कारण बालकों का नैतिक एवं आध्यात्मिक विकास रुक जायगा ।
3. अंग्रेजी पर बल देने से भारतीय भाषाओं का विकास अवरुद्ध हो जायगा ।

प्रश्न : i (f) सूचना की विशेषताएँ ।

उत्तर-
सूचना की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-

(i) सूचनाएँ आँकड़ों का व्यवस्थित, संगठित तथा परिष्कृत रूप होती हैं।
(ii) सूचना का मूल्यांकन तथा विनिमय किया जा सकता है।
(iii) सूचनाओं का संचय किया जा सकता है।
(iv) सूचना उपयोग में नष्ट नहीं होती है।

प्रश्न i (g) उच्च शिक्षा में छात्र की अनुशासनहीनता के लिए कोठारी कमीशन ने क्या कारण बताये हैं?

उत्तर-
छात्र - अनुशासनहीनता की समस्या का समाधान करने के लिए उसके कारणों से अवगत होना जरूरी है। कोठारी कमीशन ने कुछ कारणों का उल्लेख किया है जो संक्षिप्त होते हुए भी विस्तृत हैं, यथा-

(i) छात्रों का अनिश्चित भविष्य ।
(ii) छात्रों व शिक्षकों में पारस्परिक सम्पर्क का अभाव ।
(iii) अनेक शिक्षकों में विद्वत्ता का अभाव व छात्रों की समस्याओं में उनकी अरुचि ।
(iv) अनेक पाठ्य विषयों का यान्त्रिक व असन्तोषजनक स्वरूप |
(v) क्षा संस्थाओं की विशाल संख्या ।
(vi) शिक्षा संस्थाओं में शिक्षण एवं सीखने की अपर्याप्त सुविधाएँ।
(vii) शिक्षा संस्थाओं के अध्यक्षों में दृढ़ता, कल्पना व कुशलता का अभाव ।

प्रश्न : i ( h ) भारत में विद्यालय स्तर की शिक्षा के लिए पाठ्यचर्या कौन तैयार करता है?

उत्तर--
भारत में विद्यालय स्तर की शिक्षा के लिए पाठ्यचर्या की रूपरेखा, राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद् नई दिल्ली द्वारा तैयार की जाती है
 
प्रश्न :i (i) शिक्षा के राज्यस्तरीय एजेंसियों के नाम बताइए।
उत्तर-
पाठ्यक्रम विकास हेतु विभिन्न राज्यस्तरीय एजेंसियाँ जैसे- शिक्षा निदेशालय, राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषदें, जिला शिक्षा और प्रशिक्षण संस्थान है।

प्रश्न :i (j) शिक्षा आयोग ( 1954-66 ) ने स्त्रियों की उच्च शिक्षा के सम्बन्ध में क्या सिफारिशें की हैं?

उत्तर--
स्त्रियों की उच्च शिक्षा के सम्बन्ध में शिक्षा आयोग के सुझाव-आयोग में बालिकाओं एवं स्त्रियों की उच्च शिक्षा के लिए अग्रांकित सिफारिशें की हैं-

1. स्त्रियों के लिए पर्याप्त छात्रवृत्तियों की व्यवस्था की जानी चाहिए।
2. स्त्रियों के लिए उचित प्रकार के और मितव्ययी छात्रावासों की स्थापना की जानी चाहिए।
3. शिक्षा, गृह विज्ञान एवं सामाजिक कार्य के पाठ्य विषयों का विस्तार करके उनको समुन्नत बनाया जाना चाहिए।
4 . एक या दो विश्वविद्यालयों में स्त्री शिक्षा से सम्बन्धित 'अनुसन्धान यूनिटों की सृष्टि की जानी चाहिए।
5. स्त्रियों को कला, विज्ञान, प्रौद्योगिकी, मानवशास्त्र आदि विषयों में से अपने अध्ययन के विषय का चुनाव करने की आज्ञा दी जानी चाहिए ।

प्रश्न i (k) त्रिभाषा सूत्र ।

उत्तर-
त्रिभाषा सूत्र में संशोधन - त्रिभाषा सूत्र के सम्बन्ध में आयोग ने लिखा है- “यह


प्रश्न i (p) पाठ्यक्रम निर्माण में शिक्षक की भूमिका ।

उत्तर-
पाठ्यक्रम निर्माण के लिए भिन्न-भिन्न विषयों तथा क्रियाओं के लिए समितियों का गठन किया जाता है। इन समितियों में शिक्षाविदों के साथ-साथ अध्यापक भी होते हैं। प्रत्येक वर्ग के कुछ प्रतिनिधि ही लिए जा सकते हैं। इस प्रक्रिया का दूसरा चरण होता है अध्यापकों के लिए गोष्ठियाँ, कर्मशाला आदि का आयोजन करना । विषय समितियों द्वारा प्रस्तावित पाठ्यक्रम में इस प्रकार अध्यापकों की राय भी ली जाती है। स्पष्ट है कि पाठ्यक्रम निर्माण में अध्यापकों का भी हाथ होता है।
 

प्रश्न i (q) ज्ञान को परिभाषित कीजिए।

उत्तर- (1) एस. आर. रंगनाथन के अनुसार, “ज्ञान सभ्यता संरक्षित सूचना का समग्र योग होता है ।

" (2) जे. एच. शेरा के अनुसार, “ज्ञान बौद्धिक पद्धति द्वारा निष्पादित प्रक्रिया का परिणाम है । "

(3) वेबस्टर्स न्यू इंटरनेशनल डिक्शनरी ऑफ इंग्लिश लैंग्वेज के अनुसार, -“ज्ञान वास्तविक अनुभव, व्यावहारिक अनुभव, कार्यकुशलता आदि के द्वारा प्राप्त जानकारी है।

 

प्रश्न ii (a) अनुक्रिया क्या है? 

 उत्तर- अनुक्रिया के अंतर्गत अभिप्रेरणा तथा अवधान में अधिक सक्रियता एवं नियमितता की अपेक्षा की जाती है। व्यावहारिक दृष्टि से इसे अभिरुचि भी कहा जाता है।


 प्रश्न ii (b) अनुमूल्यन के स्तर बताइए ।

उत्तर- अनुमूल्यन के तीन स्तर हैं-

(1) मूल्य की स्वीकृति,

(2) मूल्यों को वरीयता क्रम होना,

(3) प्रतिबद्धता ।

प्रश्न ii (c) क्रियात्मक अथवा मनःचालित क्षेत्र के प्रकार बताइए ।

उत्तर-

(1) अनुकरण,

(2) कार्य करना,

(3) नियंत्रण,

(4) संधि योग,

(5) नैसर्गीकरण,

(6) आदत निर्माण या कौशल ।
 

प्रश्न ii (d) पाठ्य निर्माण में ब्लूम के वर्गीकरण का महत्त्व बताइए ।

उत्तर- (1) इस वर्गीकरण की सहायता से मूल्यांकन विधियों की वैधता की जाँच भी सरलता से की जा सकती है।

(2) इस वर्गीकरण से पाठ्यपुस्तकों तथा अन्य पाठ्य सामग्री के निर्माण, विश्लेषण, मूल्यांकन, संशोधन आदि की अधिक सुविधा रहती है।
 

प्रश्न ii (e) शिक्षा का शाब्दिक अर्थ बताइए ।

उत्तर- शिक्षा शब्द की उत्पत्ति संस्कृत के दो शब्दों से मानी जाती है - एक है - 'शिक्ष' धातु जिसका अर्थ है सीखना और दूसरा 'शाक्ष' धातु जिसका अर्थ है - अनुशासन में रहना, नियंत्रण में रखना ।


 प्रश्न ii (f) किन्हीं दो भारतीय विद्वान के अनुसार शिक्षा की परिभाषा दीजिए।

उत्तर- 
(1) महात्मा गांधी के अनुसार -

"शिक्षा से मेरा अभिप्राय बालक और मनुष्य शरीर, मन तथा आत्मा के सर्वांगीण एवं सर्वोत्कृष्ट विकास से है ।

(2) रवीन्द्र नाथ टैगोर के अनुसार -

"सर्वोच्च शिक्षा वह है जो हमें केवल सूचनाएँ नहीं देती वरन् हमारे जीवन को सम्पूर्ण सृष्टि से तादात्म्य स्थापित करती है। "

प्रश्न ii (g) शिक्षा का संकुचित अर्थ बताइए।

उत्तर- जे. एस. मैकेंजी के अनुसार - "संकुचित अर्थ में शिक्षा का अभिप्राय हमारी शक्तियों का विकास और उन्नति के लिए चेतनापूर्वक किये गये प्रयासों से लिया जाता है।”


प्रश्न iii (a ) "शिक्षा एक द्विमुखी प्रक्रिया है।" इसका अर्थ स्पष्ट कीजिए ।

उत्तर- जान एडम्स के अनुसार - "शिक्षा एक द्विमुखी प्रक्रिया है जिसमें एक व्यक्तित्व दूसरे व्यक्तित्व को प्रभावित करता है, जिससे उसके व्यवहार में परिवर्तन हो सके।"

शैक्षिक प्रक्रिया = शिक्षार्थी -- शिक्षक

प्रश्न iii (b) "शिक्षा एक त्रिमुखी प्रक्रिया है । "

उत्तर- जॉन डी. वी. के अनुसार शिक्षा एक त्रिमुखी प्रक्रिया है, जिसमें शिक्षक एवं बालक और पाठ्यक्रम महत्त्वपूर्ण है। अतः उन्होंने शिक्षा प्रक्रिया के तीन आधारभूत स्तम्भ बताये हैं-

(1) बालक, (2) शिक्षक, (3) पाठ्यक्रम ।

प्रश्न iii (c) निरौपचारिक शिक्षा से आप क्या समझते हैं?

उत्तर- इसमें पाठ्यक्रम तो होता है परन्तु इसे पूरा करने की अवधि छात्र की गति पर निर्भर करती है। ऐसी शिक्षा में डिग्री प्राप्त करने का कोई बन्धन नहीं होता। इसके साथ- साथ स्थान एवं समय का भी बन्धन नहीं होता। ऐसी शिक्षा पर व्यय भी कम होता है। सेवारत कर्मचारी ऐसी शिक्षा ग्रहण कर सकते हैं। इसके अन्तर्गत खुले विद्यालय, पत्राचार शिक्षा, अनौपचारिक शिक्षा केन्द्र आदि हैं।
 

. प्रश्न ili (d) शिक्षा के अभिकरणों की तालिका बनाइए ।

उत्तर- शिक्षा के अभिकरण को निम्न तालिका द्वारा प्रदर्शित किया जा सकता है--

शिक्षा के अभिकरण

| औपचारिक --- अनौपचारिक -- औपचारिकेतर

| विद्यालय -- कार्यशाला \\\\अनौपचारिक \\\\ नौपचारिक केन्द्र शिक्षा - मुक्त विश्वविद्यालय -- पत्राचार शिक्षा

| समाज -परिवार -जनसंचार माध्यम -धार्मिक संस्था -क्लब


प्रश्न iii (e) औपचारिक एवं अनौपचारिक अभिकरण में तीन अन्तर बताइए ।
अथवा
औपचारिक एवं अनौपचारिक अभिकरण ।

उत्तर- 
 औपचारिक एवं अनौपचारिक अभिकरण के तीन अन्तर

शिक्षा के औपचारिक अभिकरण


1. शिक्षा के औपचारिक अभिकरण समाज में संगठित रूप में होते हैं तथा ये स्थापित संस्था के रूप में होते हैं, जैसे विद्यालय । 

2. शिक्षा के अनौपचारिक अभिकरणों का स्थान सदैव किसी-न-किसी निश्चित स्थान पर होते हैं।

3. शिक्षा के औपचारिक अभिकरण केवल शिक्षा प्रदान करने का ही कार्य करते हैं। ये प्रत्यक्ष रूप से शिक्षा प्रदान करते हैं।

 शिक्षा के अनौपचारिक अभिकरण

1. शिक्षा के अनौपचारिक अभिकरण शिक्षा के अनौपचारिक अभिकरण न तो सुसंगठित होते हैं और न ही ये संस्थागत रूप से स्थापित होते हैं जैसे कि मित्र -. मण्डली ।

2. शिक्षा के औपचारिक अभिकरण कोई निश्चित नहीं होता, ये कहीं भी हो सकते हैं। 

3. शिक्षा के अनौपचारिक अभिकरण प्रत्यक्ष रूप से शिक्षा प्रदान करने का कार्य नहीं करतें, ये जीवन से सम्बन्धित विभिन्न अनुभव प्रदान करते हैं।

प्रश्न iii (f) शिक्षा के अनौपचारिक अभिकरणों से आप क्या समझते हैं? उदाहरण दीजिए। 
उत्तर--
औपचारिक शिक्षा की जटिलता एवं साधनों और औपचारिक शिक्षा के अव्यवस्थित होने के कारण शिक्षा के इस तीसरे प्रकार के अभिकरण का विकास किया गया। इस अभिकरण में औपचारिक शिक्षा की भाँति स्थान एवं समय का बन्धन नहीं होता। इस अभिकरण में पाठ्यक्रम तो होता है पर उसे पूरा करने की अवधि छात्र की अपनी गति पर निर्भर करता है । इस अभिकरण द्वारा दी जाने वाली शिक्षा के उद्देश्य निश्चित होते हैं तथा कभी-कभी कई वर्षों में पूरे होनेवाले औपचारिक पाठ्यक्रमों को संघानित करके कम समय में ही पूरा किया जा सकता है। इस प्रकार की व्यवस्था प्राइमरी तक के अनौपचारिक शिक्षा के केन्द्रों पर होती है जहाँ ऐसे बालकों को शिक्षा दी जाती हैं जो औपचारिक शिक्षा के कार्यों में व्यस्त होते हैं। इस अभिकरण के अन्तर्गत खुले विश्वविद्यालय एवं पत्राचार शिक्षा आदि प्रमुख हैं। 


 प्रश्न iii (g) औपचारिक शिक्षा और औपचारिकेतर शिक्षा में अन्तर स्पष्ट कीजिए। 
उत्तर-- 
 अनौपचारिक शिक्षा में निश्चित एवं व्यवस्थित ढंग से शिक्षा दी जाती है। इसमें शिक्षक होते हैं तथा विशिष्ट विषयों का अध्ययन कराया जाता है। प्रत्येक विषय के लिए निश्चित समय-सारिणी होती है। अनुशासित ढंग से रहना पड़ता है। इसमें उद्देश्य पहले से निश्चित होता है। लक्ष्य के अनुसार विशेष व्यवसाय की तैयारी करायी जाती है। जबकि औपचारिकेतर शिक्षा औपचारिकता के बन्धन से अंशतः मुक्त होती है। वह लचीली होती है। इसमें व्यय भी कम होता है। यह अभिकरण समय की सुरक्षा करता है। इन अभिकरणों से शिक्षा ग्रहण करने के लिए डिग्री आदि की आवश्यकता प्रमुख नहीं होती है।



प्रश्न iii (h) ज्ञान का अर्थ समझने के लिए कितनी परिस्थितियों का होना आवश्यक है?

ज्ञान का अर्थ समझने के लिए चार परिस्थितियों का होना आवश्यक है-

उत्तर-

(i) सत्य की वस्तुनिष्ठता, (ii) ज्ञान की सार्थकता, (iii) ज्ञान की सत्यता, (iv) तार्किक प्रतिज्ञप्ति सत्यता !
 

प्रश्न iv (a) ज्ञान के स्तर को बताइए।

उत्तर- ज्ञान के निम्नलिखित तीन स्तर हैं- (1) ज्ञानात्मक क्षेत्र, (2) भावात्मक क्षेत्र, (3) क्रियात्मक क्षेत्र !
 

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ज्ञान एवं पाठ्यक्रम VBSPU 201 B.Ed

वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय बी.एड 


Veer Bhadur Singh Purvanchal University B.Ed. 

| Knowledge and Curriculum gyan evam pathyakram b.ed first year

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